Last Updated : Jun 18, 2020 Views : 172
मसूरी, उत्तराखंड,
By: शशांक पुंडीर
मुख्य सार :
‘‘चार धाम राजमार्ग विकास परियोजना‘‘ में यमुना घाटी को सम्मिलित नहीं किया गया |
यमुनाघाटी को एक शड्यंत्र के तहत जानबूझकर रेल मार्ग से वंचित रखने का एक कुत्सित प्रयास किया जा रहा है |
यमुना घाटी में 3 जनपदों (देहरादून, टिहरी गढ़वाल और उत्तरकाशी)|
जिनकी जनसंख्या लगभग 12 लाख है
आज रंवाई, जौनपुर, जौनसार-बावर के सामाजिक वह जनप्रतिनिधियो ने एक प्रेस वार्ता कर यमुना घाटी को आल वैदर रोड़ और रेल मार्ग से जोड़ने के मांग रखी। जनप्रतिनिधियों का प्रतिनिधित्व करने वाले श्री प्रदीप कवी (बिट्टू) ने बताया की इस क्षेत्र की हमेसा अनदेखी की गई।
उत्तराखंड राज्य में बनने वाली और बन रही केंद्र सरकार की उन दो परियोजनाओं की ओर करना हैं, जिनमें से एक परियोजना ‘‘चार धाम राजमार्ग विकास परियोजना‘‘ (आल वैदर रोड़) के नाम से है जिसकी घोषणा वर्ष-2015 में हुई थी और जिस पर तीव्र गति से कार्य चल रहा है, जिससे हमारे धार्मिक महत्व के चारों धामों के साथ-साथ सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण क्षेत्रों को भी जोड़ा जा रहा है इसके साथ ही दूसरी परियोजना चारों धामों को रेल मार्ग से जोड़ने वाली है जिस पर हाल ही में रेल मंत्रालय द्वारा ‘‘प्राथमिक रेकी की सर्वे रिपोर्ट‘‘ तैयार कर भारत सरकार को जमा कर दी है, उक्त दोनों परियोजनाएं निश्चित रूप से उत्तराखंड के लोगों के लिए तथा यहां आने वाले लाखों तीर्थयात्रियों/पर्यटकों के लिए बहुत लाभकारी सिद्ध होगी।
परन्तु बहुत खेद का विषय है कि पहले ‘‘चार धाम राजमार्ग विकास परियोजना‘‘ में यमुना घाटी को सम्मिलित नहीं किया गया तथा अब रेल मंत्रालय के द्वारा करवाए गए ‘‘प्राथमिक रेकी सर्वे रिपोर्ट‘‘ में जो बातें सामने आ रही है उसमें भी पूरी यमुनाघाटी को एक शड्यंत्र के तहत जानबूझकर रेल मार्ग से वंचित रखने का एक कुत्सित प्रयास किया जा रहा है, जो कि अत्यंत खेदजनक एवं पीड़ादायक विषय है।
क्षेत्र जो इसमें आते है
यमुना घाटी में 3 जनपदों (देहरादून, टिहरी गढ़वाल और उत्तरकाशी) कि 6 विधान सभायें सहसपुर, विकासनगर, चकराता, धनोल्टी, यमुनोत्री और पुरोला और आठ विकासखंड सहसपुर, विकासनगर, कालसी, चकराता, जौनपुर, नौगांव, पुरोला और मोरी आते हैं, जिनकी जनसंख्या लगभग 12 लाख है, इतनी बड़ी आबादी को इन महत्वपूर्ण परियोजनाओं से वंचित किया जा रहा है। इन परियोजनाओं को यमुना घाटी में लाने को लेकर तथा बनवाने को लेकर हम सभी विभिन्न राजनीतिक विचारधाराओं एवं सामाजिक संगठनों के लोग तथा क्षेत्रीय जनता वर्ष-2015 से लेकर वर्तमान तक संघर्षरत है और हमारा यह संघर्ष लक्ष्य प्राप्ति तक निरन्तर जारी रहेगा।
प्रमुख मांगे :-
केंद्र सरकार/उत्तराखंड सरकार से निम्नलिखित मांग करते हैंः-
1. चार धाम राजमार्ग विकास परियोजना (आल वैदर रोड़) को यमुना घाटी की जीवन रेखा कहे जाने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-(123)-507 (हरबर्टपुर से विकास नगर-कालसी-नैनबाग-डामटा-नौगांव-बड़कोट) से जोड़ा जाए।
2. चारधाम को रेलमार्ग से जोड़ने वाली परियोजना में रेलमार्ग को देहरादून से सेलाकुई-सहसपुर-विकासनगर-कालसी-लखवाड़-नैनबाग-डामटा-लाखामंडल-नौगांव- बड़़कोट से यमुनोत्री से जोड़ा जाए।
परियोजनाओं के यमुना घाटी से जुड़ने पर निम्नलिखित लाभ होंगेः-
1. यमुना घाटी से चार धाम यात्रा का पौराणिक एवं पारंपरिक मार्ग है, दोनों परियोजनाओं के बनने से एक और जहां इस घाटी की लगभग 12 लाख की जनसंख्या को लाभ मिलेगा वहीं दूसरी ओर हमारे निकटवर्ती राज्यों जैसे हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली, पंजाब और राजस्थान से हर वर्ष आने वाले लाखों तीर्थयात्रियों/पर्यटकों के लिए यमुनोत्री जाने का सरल, सुलभ एवं सबसे निकटतम मार्ग (कम दूरी का) मिलेगा।
2. यमुना घाटी में दोनों परियोजनाओं के बनने से पर्यटन के नए क्षेत्र/स्थल विकसित होंगे, साथ ही पुराने पर्यटक स्थलों और क्षेत्रों तक पर्यटकों की सरल एवं आरामदायक पहुंच बनेगी, जिससे क्षेत्र में पर्यटन के अवसरों के साथ-साथ रोजगार के अनेकों अवसर पैदा होंगे ।
3. कृषि-बागवानी के क्षेत्र में यमुनाघाटी पूरे प्रदेश में अग्रणी है। इन परियोजनाओं के यहां बनने से कृषि और बागवानी करने वाले काश्तकारों को अपनी फसल को समय पर विपणन के लिए बाजार में पहुंचाया जा सकेगा जिससे उनकी नगदी और दूसरी फसलों का वाजिब और उचित दाम उन्हें प्राप्त होगा, जिससे पूरे क्षेत्र में लोगों की आर्थिकी बढ़ेगी और उनका आर्थिक उन्नयन होगा।
4. यमुना घाटी में पलायन उत्तराखंड के अन्य क्षेत्रों के मुकाबले बहुत कम है। इन परियोजनाओं के बनने से क्षेत्र में तीर्थाटन, पर्यटन, कृषि-बागवानी तथा अन्य व्यावसायिक गतिविधियां बढ़ेगी तथा पलायन रोकने में भी सरकार को लाभ मिलेगा।
इस मौके पर जोध सिंह रावत, अमेन्द्र बिस्ट,देशपाल पंवार, दिनेश कैंतुरा इत्यादि लोग मौजूद थे